7 जुलाई, 2025, हैदराबाद
हैदराबाद स्थित प्रमुख भाकृअनुप संस्थानों के निदेशकों ने आज भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद में 114 एफओसीएआरएस के प्रतिभागियों के साथ बातचीत की। इस सत्र का उद्देश्य पेशेवर अनुभव और करियर संबंधी अंतर्दृष्टि साझा करके युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित करना था।
इस संवादात्मक सत्र में डॉ. आर.के. माथुर, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान; डॉ. वी.के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-केंद्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान; डॉ. सी. तारा सत्यवती, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान; और डॉ. शेख एन. मीरा, निदेशक, भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद शामिल थे।
डॉ. माथुर ने कृषि प्रौद्योगिकियों के परिवर्तनकारी प्रभाव पर ज़ोर दिया और युवा वैज्ञानिकों को चुनौतियों के बावजूद उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।

डॉ. सिंह ने राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा प्रणाली (एनएआरईएस) की खूबियों पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों को याद दिलाया कि प्रभावशाली अनुसंधान की शुरुआत और अंत किसानों से ही होना चाहिए।
डॉ. सत्यवती ने विचारों में स्पष्टता और समग्र सोच पर ज़ोर दिया और व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाने की सलाह दी।
डॉ. मीरा ने करियर विकास के लिए दस-सूत्रीय एजेंडा प्रस्तावित किया और वैकल्पिक सोच, अनुकूलनशीलता और समस्या-समाधान की मानसिकता की वकालत की।
डॉ. ए. ढांडापानी, प्रभारी निदेशक, भाकृअनुप-नार्म ने वक्ताओं का अभिनंदन किया और उनके बहुमूल्य मार्गदर्शन के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
यह सत्र एफओसीएआरएस पाठ्यक्रम का एक अभिन्न अंग था, जिसे कृषि अनुसंधान सेवा में नए प्रवेशकों को प्रभावशाली वैज्ञानिक करियर के लिए आवश्यक मूल्यों और दृष्टिकोण से लैस करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद)
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