29 अगस्त, 2025, मैसूर
श्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, ने आज मैसूर के वरुणा स्थित प्रगतिशील किसान श्री लक्ष्मय्या श्रीरामु के खेत का दौरा किया। इस दौरे का आयोजन भाकृअनुप-जेएसएस कृषि विज्ञान केन्द्र, मैसूर द्वारा किया गया था और इसमें मैसूर के श्री यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार, सांसद, भी शामिल हुए।

दौरे के दौरान, मंत्री ने नारियल के बागानों में अदरक की अंतर-फसलीय खेती के बारे में किसान से बातचीत की। अदरक में पत्ती धब्बा रोग के प्रकोप को देखते हुए, उन्होंने इसके प्रबंधन के बारे में जानकारी ली। किसान ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञों द्वारा समय पर किए गए हस्तक्षेप तथा वैज्ञानिक मार्गदर्शन से रोग के प्रभाव में उल्लेखनीय कमी आई है।
मंत्री ने भौगोलिक संकेत (जीआई) प्राप्त एक अनूठी केले की किस्म, नंजनगुड रसाबेले का भी दौरा किया, जिसे मैसूर जिले की एक जिला एक उत्पाद फसल के रूप में मान्यता प्राप्त है। उन्होंने इसकी खेती में आने वाली चुनौतियों, खासकर पनामा विल्ट रोग के प्रबंधन पर चर्चा की। भाकृअनुप के वैज्ञानिकों ने उन्हें उपलब्ध प्रबंधन तकनीकों की जानकारी दी। मंत्री ने विकास अधिकारियों को नंजनगुड रसाबाले को समर्थन देने वाली योजनाओं को बढ़ावा देने के निर्देश दिए और भाकृअनुप संस्थानों द्वारा फसल को प्रभावित करने वाले मृदा जनित फफूंद संक्रमणों के प्रबंधन हेतु एक स्थायी पैकेज विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
इसके अलावा, मंत्री ने पपीते के खेतों का निरीक्षण किया, किसानों की अच्छी पैदावार की सराहना की और उत्पादन लागत को कम करने के लिए केवीके वैज्ञानिकों द्वारा किए गए उपायों पर चर्चा की। उन्होंने किसानों को विविध, बहुस्तरीय फसल प्रणालियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया, तथा आय बढ़ाने, लचीलापन बढ़ाने एवं स्थानीय फसल विरासत के संरक्षण में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला।

श्री यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार ने नंजनगुड रसाबाले की अनूठी विशेषताओं, जैसे इसके स्वाद, गुणवत्ता बनाए रखने की क्षमता, पोषण एवं सुगंध की सराहना की और केन्द्रीय मंत्री के आगमन के लिए आभार व्यक्त करते हुए उन्हें सम्मानित किया।
प्रगतिशील किसान, श्री लक्ष्मैया श्रीरामु वर्तमान में केवीके मैसूर के तकनीकी सहयोग से अपने चार एकड़ के खेत में अदरक, पपीता, केला, चीकू, नारियल और आम सहित 15 से अधिक बागवानी फसलों की खेती करते हैं।
इस कार्यक्रम में जिला आयुक्त, कृषि एवं संबद्ध विभागों के अधिकारी और क्षेत्र के 50 से अधिक किसान शामिल हुए, जिससे यह किसान-वैज्ञानिक-नीति संवाद के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-जेएसएस कृषि विज्ञान केन्द्र, मैसूर)
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