कुशल फॉस्फोरस प्रबंधन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

कुशल फॉस्फोरस प्रबंधन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

10 जुलाई, 2025, नई दिल्ली

भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के कृषि विज्ञान विभाग ने आज "प्रमुख फसल प्रणालियों में कुशल फॉस्फोरस प्रबंधन" विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य भारत के विविध कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों में स्थायी मृदा स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए फॉस्फोरस (P) प्रबंधन में प्रमुख चुनौतियों और अवसरों पर विचार करना था।

इस संगोष्ठी में डॉ. श्रीनिवास राव, निदेशक, भाकृअनुप-आईएआरआई मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। अपने उद्घाटन संबोधन में, डॉ. राव ने फॉस्फोरस उपयोग दक्षता बढ़ाने के लिए एक दीर्घकालिक, स्थान-विशिष्ट अनुसंधान रणनीति की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विशेष रूप से लाल मिट्टी, जो कम पीएच और सीमित फॉस्फोरस उपलब्धता की विशेषता रखती है, में क्षेत्र परीक्षण करने के महत्व पर जोर दिया और अनुकूलित पोषक तत्व प्रबंधन समाधानों की आवश्यकता पर बल दिया।

डॉ. पी.एस. ब्रह्मानंद, परियोजना निदेशक, जल प्रौद्योगिकी केन्द्र मुख्य अतिथि के रूप में संगोष्ठी में भाग लिया। उनके साथ विभिन्न प्रभागों के प्रमुख, वैज्ञानिक, सह-प्रमुख अन्वेषक, परियोजना कर्मचारी, स्नातकोत्तर छात्र और प्रमुख उद्योग सहयोगी ओसीपी इंडिया लिमिटेड के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

National Seminar on Efficient Phosphorus Management Organized

विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ताओं और सहयोगियों ने चल रहे बहु-स्थानीय क्षेत्र परीक्षणों के निष्कर्ष प्रस्तुत किए, जिससे विभिन्न फसल प्रणालियों में फास्फोरस की गतिशीलता के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्राप्त हुई। तकनीकी सत्रों में क्षेत्र परीक्षण डिज़ाइनों को परिष्कृत करने और कार्यान्वयन रणनीतियों को सुदृढ़ करने पर विस्तृत चर्चा की गई ताकि मजबूत, मापनीय और अनुकरणीय परिणाम प्राप्त किए जा सकें।

संगोष्ठी का समापन कुशल फास्फोरस प्रबंधन पर केंद्रित एक व्यापक दीर्घकालिक अनुसंधान रोडमैप तैयार करने की एक मजबूत सिफारिश के साथ हुआ। प्रस्तावित रणनीति का उद्देश्य पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता बढ़ाना, मृदा स्वास्थ्य में सुधार करना और विशेष रूप से फास्फोरस की कमी वाले क्षेत्रों में फसल उत्पादकता को बढ़ावा देना होगा।

यह आयोजन पोषक तत्व प्रबंधन चुनौतियों का समाधान करने और सतत कृषि के लिए विज्ञान-आधारित समाधानों को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)

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