महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद ने भाकृअनुप-काजरी का किया दौरा

महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद ने भाकृअनुप-काजरी का किया दौरा

18 जून, 2022, जोधपुर

डॉ. ए.एस. रावत, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद, देहरादून, उत्तराखंड आज भाकृअनुप-केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर, राजस्थान के दौरे पर थे। महानिदेशक के साथ शुष्क वन अनुसंधान संस्थान के निदेशक, श्री एम.आर. बलूच और वैज्ञानिकों का एक दल भी था।

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डॉ. रावत ने संस्थान की अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में गहरी दिलचस्पी ली। मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने वाले इस संस्थान का दौरा करने पर, महानिदेशक को देश और राजस्थान के लिए मरुस्थलीकरण और इसके स्थिति डेटाबेस पर कार्य कर रहे संस्थान के अध्ययन के विभिन्न पहलुओं से उन्हें अवगत कराया गया। महानिदेशक ने प्राकृतिक संसाधनों पर संस्थान के कार्य जैसे - रेत के टीले के स्थिरीकरण, रेत नियंत्रण के उपाय और वानस्पतिक विंडब्रेक मॉडल, आदि को रेखांकित किया, जिसके परिणाम दृष्टिगोचर हुए हैं, जिसके कारण राज्य में हवा द्वारा कटाव की गंभीरता एवं मरुस्थलीकरण के तहत कम क्षेत्र इसके प्रभाव में आया है।

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महानिदेशक ने भाकृअनुप-काजरी द्वारा शुरू की गई टिश्यू कल्चर आधारित खजूर और अन्य बागवानी फसलों की शोध कार्य के सफलता की सराहना की। डॉ. रावत ने जल संचयन और कैक्टस, मोरिंगा और नेपियर हाइब्रिड से चारा उत्पादन के वैकल्पिक स्रोतों के मुद्दों पर भी वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की।

डॉ. रावत ने एलडीएन लक्ष्यों को प्राप्त करने में कृषि के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भाकृअनुप-काजरी और एएफआरआई दोनों ने शुष्क क्षेत्र के विकास में एक बड़ी भूमिका निभाई है। भाकृअनुप का हिस्सा होने के नाते, काजरी का एक केंद्रित उद्देश्य कृषि संचालित अनुसंधान प्रयासों के माध्यम से शुष्क कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर एवं लचीलेपन के लिए काम करना है।

इससे पूर्व, डॉ. ओ.पी. यादव, निदेशक, भाकृअनुप-काजरी, जोधपुर ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर, राजस्थान)

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