28 जुलाई, 2025, नई दिल्ली
14 सांसदों और फ्री यूथ डेमोक्रेटिक ऑर्गनाइजेशन नेपाल (एफवाईडीओएन) के तीन अधिकारियों वाले एक उच्च-स्तरीय नेपाली प्रतिनिधिमंडल ने आज भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली का दौरा किया। इस दौरे का उद्देश्य कृषि अनुसंधान, शिक्षा, विस्तार और नीति विकास में भारत की प्रगति की जानकारी प्राप्त करना था।
एम.एस. स्वामीनाथन पुस्तकालय के सम्मेलन कक्ष में एक संवाद बैठक आयोजित की गई, जिसमें अतिथि प्रतिनिधियों ने भाकृअनुप-आईएआरआई के निदेशक, स्कूल समन्वयकों और संकाय सदस्यों के साथ मुलाकात की।

डॉ. चेरुकमल्ली श्रीनिवास राव, निदेशक एवं कुलपति, भाकृअनुप-आईएआरआई ने श्री राजेंद्र प्रसाद पांडे, सांसद के नेतृत्व में आए नेपाली प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत किया। अपने संबोधन में, डॉ. राव ने संस्थान की 120 वर्षों की विरासत और अत्याधुनिक अनुसंधान, क्षमता निर्माण और आउटरीच के माध्यम से भारतीय कृषि में इसके महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत और नेपाल के बीच मज़बूत ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंधों पर ज़ोर दिया तथा दोनों देशों के सामने मौजूद साझा चुनौतियों, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और सतत विकास से संबंधित चुनौतियों को रेखांकित किया।
डॉ. राव ने जलवायु-अनुकूल फ़सल किस्मों, स्मार्ट जल प्रबंधन, कटाई-पश्चात प्रौद्योगिकियों, कृषि में लैंगिक सशक्तिकरण और सिद्ध, मापनीय नवाचारों को अपनाने में तेज़ी लाने के लिए ढाँचों के विकास पर अनुसंधान में संयुक्त प्रयासों की वकालत की।
डॉ. पी.एस. ब्रह्मानंद, परियोजना निदेशक, जल प्रौद्योगिकी केन्द्र (डब्ल्यूटीसी) ने संस्थान द्वारा विकसित प्रमुख प्रौद्योगिकियों का अवलोकन प्रस्तुत किया।

इसके बाद एक समूह चर्चा हुई, जिसमें नेपाली प्रतिनिधियों ने गर्मजोशी भरे स्वागत और बहुमूल्य अंतर्दृष्टि के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने छोटे किसानों के अनुकूल कृषि, एकीकृत कृषि प्रणालियों, उच्चभूमि और तराई क्षेत्रों के लिए जल-उपयोग दक्षता और कृषि क्षेत्र में युवाओं की भागीदारी के लिए रणनीतियों पर सहयोगात्मक अनुसंधान में गहरी रुचि भी व्यक्त की।
इस यात्रा के दौरान, प्रतिनिधिमंडल ने नानाजी देशमुख राष्ट्रीय पादप फेनॉमिक्स सुविधा, एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल और संरक्षित खेती एवं प्रौद्योगिकी केन्द्र का दौरा किया तथा संस्थान के उन्नत बुनियादी ढाँचे एवं अनुसंधान पहलों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)
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