कृषि विज्ञान केंद्रों और पशुपालन विभाग की इंटरफेस बैठक का हुआ आयोजन

कृषि विज्ञान केंद्रों और पशुपालन विभाग की इंटरफेस बैठक का हुआ आयोजन

9 मार्च, 2019, लुधियाना

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना ने आज अपने परिसर में 'किसान की दुगुनी आय के लिए पशुधन उद्यमिता' विषय पर 'कृषि विज्ञान केंद्र और पंजाब के राज्य पशुपालन विभाग के बीच इंटरफेस बैठक' का आयोजन किया।

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डॉ. शिव प्रसाद किमोठी, सहायक महानिदेशक (समन्वय) ने मुख्य अतिथि के तौर पर विभिन्न कृषि प्रणालियों के एकीकरण के माध्यम से केवल वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने पर जोर दिया। उन्होंने किसानों की आय में सुधार के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली को लोकप्रिय बनाने का आग्रह किया। उन्होंने किसानों से व्हाट्सएप, वॉयस मैसेज, फेसबुक आदि जैसे सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उपकरणों का पूरी तरह से काम में लाने का भी आग्रह किया, ताकि अप्रभावित किसानों तक प्रभावी ढंग और कुशलता से पहुँचा जा सके।

डॉ. इंद्रजीत, निदेशक, पशुपालन, पंजाब सरकार ने सम्माननीय अतिथि के तौर पर कहा कि वर्तमान में पंजाब के कुल कृषि जीडीपी में पशुधन क्षेत्र का योगदान केवल 36% है, जिसे सहयोगी प्रयासों द्वारा 50% तक बढ़ाने की आवश्यकता है।

डॉ. एच. के. वर्मा, डीईई, गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना ने किसान की आय को दोगुना करने के लिए विभिन्न पशुधन उद्यमिता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा साहिवाल गायों, मुर्रा भैंसों, बीटल बकरों, यॉर्कशायर सूअरों, पोल्ट्री के उन्नत जर्मप्लाज्म के रूप में प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं और बिना शुल्क महिला किसानों के क्षमता निर्माण की सुविधाओं के बारे में भी बताया।

डॉ. राजबीर सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, जोन-I, लुधियाना ने जलवायु प्रतिरोधक और पोषक तत्वों से लैस स्मार्ट गाँवों को विकसित करने के लिए समन्वित प्रणाली में काम करने पर जोर दिया। निदेशक ने पंजाब के ऐसे जिलों, जिनके पास चारे, पशुओं के संसाधनों आदि के संबंध में कुछ खासियतें हैं, उन्हें हब में बदलने के लिए उनकी पहचान करने का भी आग्रह किया।

इस अवसर के दौरान 'सूअर पालन: पंजाब के कृषि-व्यवसाय का वादा' नामक एक तकनीकी बुलेटिन भी जारी किया गया।

इस आयोजन में 85 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें उप निदेशक (पशुपालन), पशु चिकित्सा अधिकारी, केवीके के विषय विशेषज्ञ, जीएडीवीएएसयू, लुधियाना और एनबीएआईजीआर, करनाल के वैज्ञानिक शामिल थे।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना)

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