22-24 जून, 2019, जोधपुर
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने 22 से 24 जून, 2019 तक जोन-II के तहत राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के कृषि विज्ञान केंद्रों के लिए वार्षिक आंचलिक समीक्षा कार्यशाला का आयोजन किया।
डॉ. ए. के. सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार) ने बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में केवीके से आग्रह किया कि प्रौद्योगिकी को किसानों तक तेजी से पहुँचाया जाए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार केवीके प्रणाली पर अधिक से अधिक जोर दे रही है ताकि विभिन्न योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके और केवीके के काम को व्यापक रूप से प्रतिबिंबित कर सकें।
डॉ. सिंह ने केवीके से किसानों का डेटाबेस बनाने का आग्रह किया ताकि एक ही किसान को कई कार्यक्रमों में दोहराया न जाए। उनका मत था कि केवीके को अधिक-से-अधिक किसानों, विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों तक पहुँचना चाहिए। डॉ. सिंह ने आईसीटी उपकरण, अर्थात, एम-किसान, 4% के बीज प्रतिस्थापन दर में वृद्धि, फसल कैलेंडर, विस्तार कार्मिक का प्रशिक्षण, कौशल विकास के लिए एएससीआई कार्यक्रमों पर जोर दिया।
डॉ. एस. के. सिंह, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन-II, जोधपुर ने कहा कि केवीके को भागीदारी मोड में प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने के लिए सीमावर्ती विस्तार कार्यक्रमों को लागू करना चाहिए।
उन्होंने केवीके से आग्रह किया कि प्राथमिक क्षेत्रों में संपर्कों को मजबूत करने और प्रौद्योगिकी को सही तरीके से लागू करने के लिए वे अपने दृष्टिकोण में गतिशील रूप से कार्य करें और तदनुसार दिशा-निर्देश तैयार करें।
एनआरसीएसएस, अजमेर और सीएसडब्ल्यू आरआई, अविकानगर के निदेशकों ने सिद्ध प्रौद्योगिकियों पर अतिथि व्याख्यान दिए।
इस अवसर पर भा.कृ.अनु.प.-अटारी, जोधपुर से 4 सहित 15 से अधिक प्रकाशन जारी किए गए।
कार्यशाला में 63 केवीके और विस्तार शिक्षा के 7 निदेशकों सहित 100 से अधिक प्रतिभागियों की भागीदारी दर्ज की गई।
(स्रोत: भा.कृ.अनु.प.-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन-II, जोधपुर)
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