17 अगस्त, 2020, महाराष्ट्र
वसंतराव नाइक मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ (वीएनएमकेवी), परभणी, महाराष्ट्र के नेतृत्व में काम कर रहे कृषि विज्ञान केंद्र, औरंगाबाद ने डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ, अकोला, महाराष्ट्र के सहयोग से आज ‘अजवाइन उत्पादन प्रौद्योगिकी पर राज्य स्तरीय आभासी कार्यशाला’ का आयोजन किया।
डॉ. अशोक धवन, कुलपति, वीएनएमकेवी, परभणी, महाराष्ट्र ने अपने उद्घाटन संबोधन में शुष्क क्षेत्रों के तहत अजवाइन फसल के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने देश में फसल की निर्यात क्षमता पर प्रकाश डाला। डॉ. धवन ने एफपीओ और एसएचजी के माध्यम से बाजार संपर्क के साथ समूह खेती करके अजवाइन की फसल के क्षेत्र को बढ़ाने का भी आग्रह किया।
डॉ. वी. एम. भाले, कुलपति, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ, अकोला, महाराष्ट्र ने महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में अजवाइन फसल उत्पादन की स्थिति को रेखांकित किया। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित अजवाइन थ्रेसिंग मशीन की उपलब्धता पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. गोपाल लाल, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय बीज मसाला अनुसंधान केंद्र, अजमेर, राजस्थान ने अजवाईन फसल की खेती की नवीनतम तकनीकों को रेखांकित किया। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि 145 दिनों में परिपक्व होने वाली ए ए-93 खेती को अपनाएँ। डॉ. गोपाल ने मानव तथा पशुओं में पोषण और औषधीय महत्त्व के लिए अजवाइन के बहुमुखी उपयोग पर प्रकाश डाला।
डॉ. लाखन सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र ने किसानों से संगठित तरीके से अजवाइन उगाने का आग्रह किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि कटाई उपरांत प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन, मशीनीकरण, ग्रेडिंग और पैकेजिंग को अपनाने से किसानों को उच्च लाभ मिल सकता है। उन्होंने किसानों को शिक्षित करने के लिए अनुदेशात्मक फार्म में बीज मसाले प्रौद्योगिकी पार्क विकसित करने हेतु केवीके से भी आग्रह किया।
डॉ. डी. बी. देवसरकर, विस्तार शिक्षा निदेशक, वीएनएमकेवी, परभणी, महाराष्ट्र ने भाकृअनुप-एनआरसीएसएस, अजमेर सहित अन्य संगठनों के साथ संयुक्त रूप से काम करने पर जोर दिया।
डॉ. बी. वी. असवार, प्रमुख, कृषि विज्ञान विभाग, परभणी, महाराष्ट्र ने कहा कि अजवाइन फसल को आकस्मिक फसल योजना के तहत एक विकल्प के रूप में शामिल किया जा सकता है।
डॉ. के. के. जाडे, प्रमुख, केवीके, औरंगाबाद ने अजवाइन उत्पादकों के सफल मामलों को रेखांकित किया।
वेबशॉप में करीब 100 किसानों और वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र)
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