28 नवंबर, 2020, पुणे
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र और कृषि विज्ञान केंद्र, कोल्हापुर-II, महाराष्ट्र ने संयुक्त रूप से आज "पशुपालन क्षेत्र में बदलाव पर आभासी संवेदीकरण कार्यशाला" का आयोजन किया।

मुख्य अतिथि डॉ. वल्लभभाई कथीरिया, अध्यक्ष, राष्ट्रीय कामधेनु आयोग, पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, शादीपुर, नई दिल्ली, ने केवीके से केंद्र में समग्र स्वदेशी गौ प्रदर्शन इकाई स्थापित करने का आग्रह किया। पशुपालन में उद्यमिता और रोजगार सृजन की गुंजाइश पर जोर देते हुए डॉ. कथीरिया ने गाय के गोबर और मूत्र से तैयार जैवकीटनाशकों/जैव उर्वरकों के उपयोग के बारे में किसानों को जागरूक करने पर जोर दिया। उन्होंने देसी गायों पर विभिन्न आर्थिक और सतत मॉडलों को विभिन्न आयामों जैसे दुग्ध उत्पादन, जैव उर्वरक उत्पादन आदि में विकसित करने पर दबाव डाला।
इस अवसर के दौरान मुख्य अतिथि ने भाकृअनुप-अटारी, पुणे, महाराष्ट्र द्वारा ई-प्रकाशन “पशुपालन क्षेत्र की विकास योजनाएँ” का भी विमोचन किया।
डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने विभिन्न हितधारकों जैसे उद्यमियों, इनक्यूबेटर्स, विभिन्न भाकृअनुप-संस्थानों को एकीकृत करके पशुपालन क्षेत्र को मजबूत करने हेतु विस्तार नेटवर्क स्थापित करने तथा देश भर में किसी भी प्रकार की महामारियों के लिए एक संकेतक प्रणाली विकसित करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने केवीके में पशुपालन विशेषज्ञों के एक समूह को राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान संस्थानों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ जोड़ने पर जोर दिया।
डॉ. भूपेंद्र नाथ त्रिपाठी, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान), भाकृअनुप ने पशुपालन क्षेत्र के लिए विभिन्न अर्थव्यवस्था मॉडल विकसित करने तथा किसानों को प्रमाणित एवं स्थान-विशिष्ट प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करने पर जोर दिया। उन्होंने पशु चिकित्सा पद्धतियों जैसे उचित टीकाकरण, कृमि मुक्ति और क्षेत्र विशिष्ट खनिज मिश्रण प्रदान करने पर जोर दिया।
श्री एस.पी. सिंह, आइ. ए. एस., आयुक्त, पशुपालन, महाराष्ट्र सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने पशुपालन क्षेत्र के समग्र विकास पर जोर दिया जिससे किसानों के लिए अधिक आय-सृजन के विकल्प पैदा किए जा सके।
डॉ. वी. पी. चहल, अतिरिक्त महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने केवीके को पशुपालन में सर्वोत्तम पद्धतियों के प्रदर्शन और त्वरित ज्ञान साझा करने के लिए सामाजिक प्लेटफार्मों का उपयोग करने की सलाह दी।
श्री पी. पी. अदृश्य काद्सिद्धेश्वर स्वामी जी, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, कोल्हापुर- II, महाराष्ट्र ने केवीके से जैविक खेती की सर्वोत्तम तकनीकों का प्रदर्शन करने का आग्रह किया। उन्होंने जैव योगों, जैसे जीवमृत, गिर गोकृपा अमृतम के बारे में उल्लेख करते हुए जैविक खेती और किसानों पर उनकी प्रभावशीलता के बारे में प्रकाश डाला।
डॉ. एन. एच. केलावाला, कुलपति, कामधेनु विश्वविद्यालय गुजरात ने उच्चतम गुणवत्ता और कृत्रिम गर्भाधान के सेक्स-सॉर्टेड वीर्य की मदद से स्वदेशी नस्लों के आनुवंशिक सुधार पर जोर दिया। उन्होंने आवारा पशुओं के प्रबंधन, झुंड में मादा मवेशियों की संख्या बढ़ाने, क्षेत्र विशिष्ट खनिज मिश्रण का उपयोग करने, उचित टीकाकरण और कृमि मुक्ति पद्धतियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
डॉ. लाखन सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, पुणे, महाराष्ट्र ने स्थायी कृषि में पशुपालन क्षेत्र की भूमिका, पशुधन आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल विकसित करने और भूमिहीनों एवं छोटे किसानों के आय के नियमित स्रोत पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला में 11 भाकृअनुप-अटारी के निदेशकों/प्रधान वैज्ञानिकों, भाकृअनुप-मुख्यालय के प्रधान वैज्ञानिकों सहित केवीके और फील्ड पदाधिकारियों के 450 से अधिक प्रमुखों, विषय-विशेषज्ञों, कार्यक्रम सहायकों ने आभासी तौर पर भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र)
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