31 दिसंबर, 2020, रामगढ़
श्री जयंत सिन्हा, संसद सदस्य, हजारीबाग और डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) ने आज कृषि विज्ञान केंद्र, रामगढ़, झारखंड के प्रशासनिक-सह-प्रयोगशाला भवन का शिलान्यास किया।

श्री जयंत सिन्हा ने जोर दिया कि नई प्रशासनिक-सह-प्रयोगशाला भवन केवीके, रामगढ़ को अतिरिक्त ताकत प्रदान करेगी। उन्होंने क्षेत्र के कृषि परिदृश्य को बेहतर बनाने में विज्ञान की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
किसानों की आजीविका संस्था के रूप में केवीके के बारे में डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने जोर देकर कहा कि पूर्वी क्षेत्र की जलवायु की स्थिति पशुपालन, मत्स्य पालन और बागवानी के पक्ष में है। महानिदेशक ने किसानों से आय सृजन के नए क्षेत्रों में खेती में विविधता लाने का आग्रह किया। डॉ. महापात्र ने कहा कि नए प्रशासनिक-सह-प्रयोगशाला भवन का शिलान्यास हमें आने वाले नए साल में किसानों के लाभों से संबंधित काम करने के लिए नई ऊर्जा प्रदान करेगा।
डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने केवीके के उद्यमशीलता और ऊष्मायन (इन्क्यूबेशन) कार्यक्रमों पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि क्षेत्र की कृषि समस्याओं के समाधान के लिए प्रौद्योगिकी केंद्रित संस्था के रूप में नए केवीके को मजबूत किया जाएगा।
डॉ. सुरेश कुमार चौधरी, उप महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन), भाकृअनुप ने किसानों की क्षमता निर्माण और किसानों के बीच माध्यमिक कृषि हस्तक्षेपों को शामिल करके किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दिया।
डॉ. उज्ज्वल कुमार, निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना, बिहार ने इससे पहले अपने स्वागत संबोधन में गणमान्य अतिथियों को केवीके, रामगढ़ के प्रस्तावित भवन की अनुमानित लागत (लगभग 1.38 करोड़ रुपए) से अवगत कराते हुए वर्ष 2021 तक अंत होने की उम्मीद जताई।
डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक, भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पटना, बिहार ने अपने संबोधन में कृषि विकास में केवीके की भूमिका पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में भाकृअनुप-संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित रामगढ़ जिले के 100 से अधिक किसानों ने भाग लिया।
(स्रोत: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना, बिहार)
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