20 अक्टूबर, 2020, जालना - II, महाराष्ट्र
कृषि विज्ञान केंद्र, जालना – II, महाराष्ट्र ने आज आभासी तौर पर किसान-वैज्ञानिक मंच एवं रबी फसल मेले का आयोजन किया।
मुख्य अतिथि, डॉ. लाखन सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र ने नव निर्मित केवीके को एक मॉडल केवीके में विकसित करने पर जोर दिया। यह कार्यात्मक प्रदर्शन इकाईयों के निर्माण, अनुदेशात्मक खेत को अनुकरणीय बनाने, जिले के विभिन्न कृषि पारिस्थितिकी को संबोधित करने वाली नवीनतम प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन, मजबूत संबंध बनाने और अन्य संगठनों के साथ अभिसरण द्वारा संभव हो सकता है। उन्होंने किसानों की आय को दोगुना करने, फसल विविधीकरण, फसल कटाई उपरांत प्रसंस्करण, मूल्य-संवर्धन, सूखा कम करने वाली प्रौद्योगिकियों और कौशल विकास आदि पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।

डॉ. डी. बी. देवसरकर, निदेशक (विस्तार शिक्षा), वसंतराव नाइक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय, परभणी, महाराष्ट्र ने किसानों को चना की खेती के लिए बीबीएफ तकनीक अपनाने का सुझाव दिया।
डॉ. एस. बी. पवार, एसोसिएट डायरेक्टर (रिसर्च), एनएआरपी ने 'अरहर (तूअर) में अपनाई जाने वाली रबी ज्वार की खेती प्रौद्योगिकी और प्रबंधन पद्धतियों' पर एक व्याख्यान दिया।
प्रो. ए. वी. गुट्टे, विस्तार कृषि विज्ञानी, आरएईईसी, औरंगाबाद ने कपास में अपनाई जाने वाली चना खेती की पद्धतियों और प्रबंधन पद्धतियों के बारे में सलाह दी।
डॉ. एस. डी. सोमवंशी, प्रमुख, केवीके, जालना - II, महाराष्ट्र ने रबी फसलों की योजना के बारे में जानकारी दी।
डॉ. जी. राजेंदर रेड्डी, निदेशक, एमजीएम संस्थान, औरंगाबाद और गोखले एजुकेशन सोसाइटी ने किसानों को प्राकृतिक संसाधनों के अधिक दोहन को रोकने के लिए जल संचयन एवं जल बजट पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया।
प्रौद्योगिकी सप्ताह में 200 से अधिक किसानों ने आभासी तौर भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र)
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