19, जून 2021, लुधियाना
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना, पंजाब ने आज आभासी तौर पर ‘निक्रा के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन घटक की वार्षिक समीक्षा और समापन कार्यशाला’ का आयोजन किया।
मुख्य अतिथि, डॉ. सुरेश कुमार चौधरी, उप महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन), भाकृअनुप ने अगले चरण के लिए जोखिम और भेद्यता के आधार पर जिलों के चयन की रूपरेखा तैयार की। उन्होंने राष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन के लिए सफल प्रौद्योगिकियों के दस्तावेजीकरण पर जोर दिया।
विशिष्ट अतिथि, डॉ. जे.पी. शर्मा, कुलपति, SKUAST, जम्मू ने देश में वर्तमान जलवायु परिवर्तन परिदृश्य को रेखांकित किया। उन्होंने अनुकूल प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
डॉ. एस. भास्कर, एडीजी (एएएफ और सीसी), भाकृअनुप ने टीडीसी कार्यक्रम की शुरुआत और क्लस्टर गाँवों के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने अभिसरण के साथ प्रौद्योगिकियों के उन्नयन पर जोर दिया।
डॉ. ए. के. मेहता, पूर्व एडीजी और अध्यक्ष, जेडएमसी ने देश में वर्तमान जलवायु परिवर्तन की स्थिति और किसानों के सामने आने वाली सभी समस्याओं पर विचार करके केंद्रित कार्य योजना पर प्रकाश डाला।
डॉ. वी. के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद ने सभी महत्त्वपूर्ण फसलों, उपलब्ध संसाधनों, बाधाओं, विभिन्न प्रणालियों के लचीलेपन और जोखिम को कम करने पर विचार करते हुए कृषि प्रणाली के प्रकारों पर जलवायु लचीला प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करके टीडीसी के अगले चरण में अपनाए जाने वाले दृष्टिकोणों पर जोर दिया।
डॉ. राजबीर सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, लुधियाना ने इससे पहले अपने स्वागत संबोधन में सिद्ध पद्धतियों के विस्तार द्वारा जलवायु अनुकूल गाँवों के विकास के दृष्टिकोण पर जोर दिया।
इस अवसर पर लगभग 13 कृषि विज्ञान केंद्रों ने रिपोर्ट प्रस्तुत की और 8 जिलों ने निक्रा-टीडीसी के अगले चरण के लिए प्रौद्योगिकी कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना, पंजाब)
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