1 - 4 अगस्त 2023
भाकृअनुप-राष्ट्रीय ऑर्किड अनुसंधान केन्द्र, सिक्किम और भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (एटीएआरआई), कोलकाता के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) के एक भाग के रूप में, वैज्ञानिकों की एक टीम (डॉ. दीपांकर साहा और डॉ. सिद्धार्थ शंकर विश्वास) ) भाकृअनुप-एनआरसीओ ने मुर्शिदाबाद के जिलों [धन्यगंगा कृषि विज्ञान केन्द्र (डीजीकेवीके), रामकृष्ण मिशन आश्रम, सरगाछी, मुर्शिदाबाद, आरकेएमवीईआरआई, बेलूरमठ, हावड़ा के तत्वावधान में]; हुगली [बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय (बीसीकेवी), मोहनपुर, पश्चिम बंगाल का हुगली कृषि विज्ञान केंद्र]; और पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना (सस्य श्यामला कृषि विज्ञान केन्द्र, सोनारपुर, आरकेएमवीईआरआई, बेलूरमठ, हावड़ा के तत्वावधान में) का दौरा किया।
इन सभी केवीके में सभी संभावित हितधारकों के साथ आर्किड खेती की क्षमता के बारे में इंटरैक्टिव सत्र-सह-बुनियादी प्रशिक्षण आयोजित किए गए।
इन आयोजनों में लगभग 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
इन संवाद बैठकों के दौरान, डीजीकेवीके, मुर्शिदाबाद के अध्यक्ष, स्वामी विश्वमयानंद; डॉ. पी. डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता; डॉ. सैमसुल हक अंसारी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, हुगली केवीके, बीसीकेवी; एसएसकेवीके के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. एन.सी. साहू ने केवीके के संबंधित कार्यक्रमों में अपने विचार व्यक्त किए।
डॉ. एस.पी. दास, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीओ, पाक्योंग, सिक्किम ने अपने संदेश में केवीके के माध्यम से कार्यान्वयन के भविष्य के रोड मैप पर प्रकाश डाला।
सभी प्रतिभागियों और हितधारकों ने अपनी राय एवं अनुभव को साझा किया; इन तीन केवीके आधारित इंटरैक्टिव चर्चा सह प्रशिक्षण के दौरान पश्चिम बंगाल के अपने सम्बंधित जिलों में ऑर्किड की खेती की संभावनाओं और व्यावहारिक रूप से स्थापित आकर्षक उद्यम के प्रचार सह गहनता तथा इसे अपनाने के लिए सारी दुविधाओं को दूर किया गया।
(स्रोत भाकृअनुप-राष्ट्रीय ऑर्किड अनुसंधान केन्द्र, सिक्किम)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
टिवीटर पर फॉलो करना
इंस्टाग्राम पर लाइक करें