उत्तराखंड में उन्नत बीज प्रणालियों के लिए भाकृअनुप-आईएआरआई ने जीबीपीयूएटी, पंतनगर के साथ समझौता ज्ञापन पर किया हस्ताक्षर

उत्तराखंड में उन्नत बीज प्रणालियों के लिए भाकृअनुप-आईएआरआई ने जीबीपीयूएटी, पंतनगर के साथ समझौता ज्ञापन पर किया हस्ताक्षर

12 जुलाई, 2025, नई दिल्ली

हरित क्रांति के केन्द्र, भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने आज जीबीपीयूएटी, पंतनगर में उत्तराखंड की कृषि उत्पादन क्षमता का दोहन करने के लिए गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जीबीपीयूएटी), पंतनगर, जो देश में हरित क्रांति लाने वाले अग्रणी संस्थानों में से एक है, के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया। इस समझौते का उद्देश्य कृषि अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास और मूल्यांकन, बीज उत्पादन सहित प्रौद्योगिकियों के विस्तार, शैक्षणिक सहयोग एवं विस्तार में सहयोग बढ़ाना है।

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डॉ. चेरुकमल्ली श्रीनिवास राव, निदेशक एवं कुलपति, भाकृअनुप-आईएआरआई, नई दिल्ली और डॉ. मनमोहन सिंह चौहान, कुलपति, जीबीपीयूएटी, पंतनगर ने एक समारोह में समझौते पर हस्ताक्षर किया। इस समारोह में उपस्थित भाकृअनुप्-आईएआरआई के अधिकारी, जिसमें डॉ. विश्वनाथन चिन्नुसामी, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान); डॉ. गोपाल कृष्णन एस., प्रमुख (आनुवांशिकी),; डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह, प्रभारी, बीज उत्पादन और जीबीपीयूएटी विश्वविद्यालय के अधिकारियों में, डॉ. ए.एस. नैन, निदेशक (अनुसंधान); डॉ. ए.एस. जीना, संयुक्त निदेशक (बीज उत्पादन केन्द्र), रजिस्ट्रार, डीन तथा निदेशक शामिल थे।

डॉ. राव ने भाकृअनुप-आईएआरआई द्वारा विकसित किस्मों के गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन और आपूर्ति के माध्यम से बीज प्रतिस्थापन दर को बढ़ाने के लिए सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया, जिसमें लोकप्रिय निर्यात गुणवत्ता वाले पूसा बासमती चावल की किस्में, गेहूं तथा प्रौद्योगिकियों के परीक्षण और विस्तार, फसल विविधीकरण एवं कटाई के बाद के नुकसान को कम करने सहित पारस्परिक हित के क्षेत्र शामिल हैं।

डॉ. चौहान ने उन्नत फसल किस्मों के विकास में भाकृअनुप-आईएआरआई की अग्रणी भूमिका की सराहना की, जिसमें 52,000 करोड़ रुपये के बासमती चावल के निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान भी शामिल है। उन्होंने दोहराया कि यह समझौता ज्ञापन उत्तराखंड में कृषि विकास को सुदृढ़ करने में मदद करेगा, जिसमें गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन और जैव-इथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)

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