वंचितों तक पहुँचने हेतु जलवायु विज्ञान वितरण पर विचार-मंथन सत्र का आयोजन

वंचितों तक पहुँचने हेतु जलवायु विज्ञान वितरण पर विचार-मंथन सत्र का आयोजन

19 जुलाई, 2025, हैदराबाद

भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद में "जलवायु विज्ञान वितरण: वंचितों तक पहुंच" विषय पर एक दिवसीय विचार-मंथन सत्र आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य वंचित समुदायों तक जलवायु सेवाएं पहुंचाने हेतु मापने योग्य रणनीतियों पर विचार-विमर्श करना था।

Brainstorming Session on Climate Science Delivery: Reaching the Unreached

इस सत्र की अध्यक्षता, डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) तथा सह-अध्यक्षता, डॉ. ए.के. नायक, उप-महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) द्वारा की गई।

डॉ. जाट ने जलवायु सेवा वितरण को आगे बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक रोडमैप प्रस्तावित किया और सबसे कमजोर समुदायों तक पहुँचने के लिए एक बहु-हितधारक दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया।

Brainstorming Session on Climate Science Delivery: Reaching the Unreached

कार्यक्रम के एक भाग के रूप में, डॉ. जाट ने शुष्क भूमि कृषि पर अखिल भारतीय समन्वित कृषि अनुसंधान परियोजना (एआईसीआरपी) के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक स्मारक स्तंभ का उद्घाटन किया, भाकृअनुप-क्रिडा के कर्मचारियों और आईएआरआई मेगा यूनिवर्सिटी (हैदराबाद हब) के छात्रों के साथ बातचीत की और हयातनगर स्थित भुवन अनुसंधान फार्म का दौरा किया, जहाँ उन्होंने चल रहे प्रयोगों की समीक्षा की और एक प्रशिक्षण-सह-प्रदर्शनी हॉल तथा एक जलवायु-अनुकूल एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस) मॉडल का उद्घाटन किया।

डॉ. वी.के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिडा ने चर्चाओं का संदर्भ निर्धारित करने के लिए एक प्रारंभिक प्रस्तुति दी। विचार-विमर्श जलवायु विज्ञान वितरण में चुनौतियों और नवाचारों की एक श्रृंखला पर केंद्रित था, जिसमें जलवायु सूचना सेवाएँ, बीज प्रणालियाँ, लघु-स्तरीय मशीनीकरण, मृदा और जल प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य, लचीली बागवानी, पशुधन और मत्स्य पालन, स्वैच्छिक कार्बन बाज़ार, डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ, संस्थागत ढाँचे, कॉर्पोरेट क्षेत्र की भूमिका और जलवायु अनुकूलन वित्तपोषण शामिल थे।

Brainstorming Session on Climate Science Delivery: Reaching the Unreached

इस कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भौतिक और आभासी रूप से भाग लिया, जिनमें पीजेटीएसएयू और एसकेएलटीएसएचयू के कुलपति, संयुक्त सचिव (कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय), भाकृअनुप संस्थानों के निदेशक, और आईएमडी, नाबार्ड, आईसीआरआईएसएटी, सीआईएमएमवाईटी, बीएआईएफ, आईटीसी, इफको, जैन इरिगेशन, एनआईआरडी एंड पीआर, और मैनेज के विशेषज्ञ शामिल थे।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)

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