114वें एफओसीएआरएस परिवीक्षार्थियों के लिए जैव विविधता संरक्षण पर विचार-मंथन संवाद का आयोजन

114वें एफओसीएआरएस परिवीक्षार्थियों के लिए जैव विविधता संरक्षण पर विचार-मंथन संवाद का आयोजन

20 सितंबर, 2025, हैदराबाद

भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद ने आज 114वें एफओसीएआरएस कार्यक्रम के परिवीक्षार्थियों के लिए कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में जैव विविधता प्रबंधन पर एक विचार-मंथन संवाद का आयोजन किया। इस सत्र का उद्देश्य युवा वैज्ञानिकों को जैव विविधता संरक्षण के महत्व तथा सतत कृषि में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति जागरूक करना था।

डॉ. जयकृष्ण जेना, उप-महानिदेशक (मत्स्य पालन एवं शिक्षा), भाकृअनुप ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। अपने संबोधन में, उन्होंने कृषि सकल घरेलू उत्पाद में मत्स्य पालन के योगदान पर प्रकाश डाला और कहा कि सभी कशेरुकी प्रजातियों में से लगभग 50% मछलियां हैं। डॉ. जेना ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि मत्स्य संसाधन पारंपरिक कृषि पारिस्थितिकी प्रणालियों पर दबाव कम करते हैं।

इस कार्यक्रम में डॉ. एन.के. कृष्ण कुमार, पूर्व उप-महानिदेशक (बागवानी) सहित प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने भी भाग लिया; डॉ. टी. जानकी राम, पूर्व कुलपति, वाईएसआर बागवानी विश्वविद्यालय और पूर्व सहायक महानिदेशक (बागवानी); और डॉ. जी.एन. माथुर, पूर्व प्रोफेसर, एसकेएनएयू, जोबनेर, राजस्थान, विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

Brainstorming Interaction on Biodiversity Conservation for 114th FOCARS Probationers Organised

डॉ. कृष्ण कुमार ने कृषि-जैव विविधता में खतरनाक गिरावट पर ज़ोर दिया और बताया कि मुट्ठी भर फसलें वैश्विक खाद्यान्न भंडार का लगभग 80% हिस्सा बनाती हैं। उन्होंने कृषि जैव विविधता के संरक्षण की तात्कालिकता पर ज़ोर देते हुए पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के मूल्यांकन पर विस्तार से चर्चा की।

बागवानी जैव विविधता पर बोलते हुए, डॉ. जानकी राम ने आहार (भोजन), आरोग्य (स्वास्थ्य), अधय (आय) तथा आयुष (जीवन) प्रदान करने में इसकी भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने देशी सजावटी पौधों के संरक्षण से, विशेष रूप से छोटे किसानों और महिला किसानों के लिए, आजीविका के अवसरों पर प्रकाश डाला।

डॉ. माथुर ने देशी पशुधन नस्लों के संरक्षण के महत्व पर ज़ोर दिया तथा पशुधन एवं बागवानी में जैव विविधता प्रबंधन के अपने अनुभवों से अंतर्दृष्टि साझा की।

इससे पहले, गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए, डॉ. गोपाल लाल, निदेशक, भाकृअनुप-एनएएआरएम, ने इस संवाद के उद्देश्य पर प्रकाश डाला और परिवीक्षार्थियों को प्रख्यात विशेषज्ञों के साथ संवाद के माध्यम से कृषि-जैव विविधता पर अपने ज्ञान और दृष्टिकोण के निर्माण हेतु इस सत्र का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद)

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