भाकृअनुप-नार्म ने सार्वजनिक और निजी विस्तार सेवा को एकीकृत करने के लिए राष्ट्रीय नीति कार्यशाला का किया आयोजन

भाकृअनुप-नार्म ने सार्वजनिक और निजी विस्तार सेवा को एकीकृत करने के लिए राष्ट्रीय नीति कार्यशाला का किया आयोजन

12 जनवरी, 2023, हैदराबाद

भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंध अकादमी (नार्म), हैदराबाद ने आज यहां हाइब्रिड मोड में अपने थिंक-टैंक जनादेश के एक भाग के रूप में एक प्रभावी विस्तार सेवा को आगे बढ़ाने के लिए सार्वजनिक और निजी प्रणाली को एकीकृत करने से संबन्धित एक नीति कार्यशाला का आयोजन किया।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य, सार्वजनिक और निजी विस्तार प्रणाली की ताकत, कमजोरियों, अवसरों और खतरों (एसडब्ल्यूओटी) का गंभीर विश्लेषण करना था और संस्थागत, संरचनात्मक, कार्यात्मक और कानूनी आवश्यकताओं के संदर्भ में कार्यान्वयन योग्य दिशा निर्देशों के साथ उन्हें एकीकृत करने के लिए एक रूपरेखा का सुझाव देना था।

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मुख्य अतिथि, डॉ. ए.के. सिंह, कुलपति, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी ने बदलती जरूरतों, किसानों के कल्याण और राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक और निजी विस्तार प्रणालियों के बीच अधिक से अधिक इंटरफेस की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने टिप्पणी की कि, हालांकि, दोनों प्रणालियों की अपनी सापेक्ष ताकत और सीमाएं हैं, फिर भी विस्तार सेवा की दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार के लिए उनके प्रयासों को एकीकृत करने की व्यापक गुंजाइश है। उन्होंने केवीके के मामले को साझेदारी को बढ़ावा देने के एक जीवंत उदाहरण के रूप में उद्धृत किया, जिसमें सार्वजनिक और गैर-सार्वजनिक दोनों संस्थान सार्वजनिक वित्त पोषित योजना संचालित करते हैं।

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डॉ. चौ. श्रीनिवास राव, निदेशक, भाकृअनुप-एनएएआरएम ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि एकीकरण और साझेदारी के मुद्दे का समग्र दृष्टिकोण से विश्लेषण किया जाना चाहिए, जिसमें दोनों प्रणालियों की, उनकी सापेक्ष ताकत के आधार पर, जवाबदेही और पारदर्शिता में सुधार पर जोर दिया गया।

डॉ. शरण अंगड़ी, निदेशक, प्लांट ब्रीडिंग में उन्नत प्रशिक्षण फाउंडेशन, और सीओओ, भारतीय बायोटेक एमएसएमई और स्टार्टअप आईबायोम (iBioM), बेंगलुरु; और डॉ. वेद प्रकाश चहल, सहायक महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप, नई दिल्ली ने सम्मानित अतिथि के रूप में (वर्चुअल मोड में) इस अवसर की शोभा बढ़ाई और क्रमशः निजी और सार्वजनिक विस्तार प्रणाली का प्रतिनिधित्व करने वाले दृष्टिकोण सबके सामने प्रस्तुत किए।

इससे पहले, डॉ. जी. वेंकटेश्वरलू, संयुक्त निदेशक, भाकृअनुप-नार्म ने अपने स्वागत संबोधन में इस नीति की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

डॉ. एस. प्रभु कुमार, पूर्व निदेशक, अटारी, लुधियाना और बैंगलोर और वर्तमान में भाकृअनुप, एनएएआरएम के सहायक संकाय, उद्घाटन सत्र में उपस्थित रहे।

देश के कृषि विस्तार पारिस्थितिकी तंत्र (किसान, उद्यमी/स्टार्ट-अप, अटारी, एसएयू, केवीके, मैनेज, एनजीओ, निजी क्षेत्र और भाकृअनुप, एनएएआरएम के संकाय) का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 60 प्रतिनिधियों ने कार्यशाला में भाग लिया और विचार-विमर्श में अपना योगदान दिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंध अकादमी, हैदराबाद)

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