भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान संस्थान ने उष्ट्र दूध के पाउडर तकनीक को किया स्थानांतरित

भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान संस्थान ने उष्ट्र दूध के पाउडर तकनीक को किया स्थानांतरित

10 जनवरी, 2023, बीकानेर

भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर और पर्ल लैक्टो के बीच आज इनोवेटिव कैमल मिल्क पाउडर टेक्नोलॉजी (सीएमपी) तकनीक को स्थानांतरित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। सीएमपी की नवीन प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण से उष्ट्र का दूध अब पूरे देश में उपलब्ध होगा।

डॉ. कलाबंधु साहू, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीसी और श्री अमन ढिल, संस्थापक, पर्ल लैक्टो कंपनी ने संबंधित संगठनों की ओर से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

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डॉ. साहू ने आह्वान किया कि नवीन तकनीकों के प्रयोग से उष्ट्र के दूध में मौजूद कार्यात्मक गुण काफी हद तक बरकरार रहते हैं। उन्होंने कहा कि 'उष्ट्र के दूध' को इसके चिकित्सीय तथा न्यूट्रास्युटिकल गुणों के कारण 'मेडिसिनल-स्टोरहाउस' या सुपर-फूड कहा जा सकता है। डॉ. साहू ने जोर देकर कहा कि पर्ल लैक्टो कंपनी को इस गैर-थर्मल पाउडर बनाने वाली तकनीक का हस्तांतरण, देश भर में जरूरतमंद उपभोक्ताओं तक पहुंच तथा विस्तार होगा। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि उष्ट्र पालकों को उष्ट्र के दूध की उद्यमिता को पूरी तरह अपनाकर इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए ताकि उष्ट्र के दूध के बाजार को एक संगठित खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में बदला जा सके।

डॉ. आर.के. सावल, प्रधान वैज्ञानिक ने कहा कि उष्ट्र के दूध के प्रसंस्करण के लिए गाय और भैंस के दूध की तरह प्रयुक्त प्रसंस्करण विधियों का सीधे उपयोग नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उष्ट्र के दूध में अलग-अलग विशेषताएं होती हैं, इसलिए केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा उष्ट्र के दूध को नवीन तरीकों से संशोधित करने और विभिन्न गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

इस अवसर पर, श्री. अमन ढिल ने कहा कि कंपनी वर्तमान में मुख्य रूप से गाय के दूध के कारोबार में लगी हुई है, कंपनी का इरादा ‘उष्ट्र के दूध' को बाजार में लाना है ताकि जरूरतमंद और आम लोगों को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि कंपनी देश भर के विभिन्न शहरों में स्थित अपने पार्लरों और ऑनलाइन चैनलों के माध्यम से पाउडर और इसके निर्मित उत्पादों को उपलब्ध कराएगी।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर)

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