28 नवंबर, 2022, मुंबई
भाकृअनुप-केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, मुंबई ने आज यहां इंडियन इम्यूनोलॉजिकल प्राइवेट लिमिटेड (आईआईएल), हैदराबाद को दो प्रमुख जीवाणु रोगों के खिलाफ विकसित दो मछली टीकों, फ्लेवोबैक्टीरियम कोलमनारे के कारण होने वाले कोलमनारिस और एडवर्ड्सिएला टार्डा के कारण होने वाले एडवर्ड्सिलोसिस की तकनीकों को स्थानांतरित कर दिया है, आईआईएल मीठे पानी की मछलियों में उपयोग के लिए व्यावसायिक पैमाने के टीकों का विकास करेगी।


ये दो टीके निष्क्रिय टीके हैं जो मछली को इन जीवाणु रोगों से बचाएंगे। इस प्रौद्योगिकियों को एक गैर-अनन्य मोड में स्थानांतरित किया गया था। इस प्रकार, किसी भाकृअनुप संस्थान द्वारा उद्योग को स्थानांतरित की गई जीवाणु रोगों के लिए यह पहली मछली वैक्सीन तकनीक है।
डॉ. सी.एन. रविशंकर, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएफई और डॉ. के. आनंद कुमार, प्रबंध निदेशक, आईआईएल ने संबंधित संगठनों की ओर से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
डॉ. एन.पी. साहू, संयुक्त निदेशक, आविष्कारक, सह-अन्वेषक, अध्यक्ष, आईटीएमयू और भाकृअनुप-सीआईएफई और आईआईएल, हैदराबाद के अन्य अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस प्रौद्योगिकी के आविष्कारक हैं, डॉ. मेघा कदम बेडेकर (प्रधान वैज्ञानिक, एईएचएम डिवीजन सीआईएफई), डॉ. राजेंद्रन के.वी. (प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, एईएचएम प्रभाग, सीआईएफई), डॉ. कुंदन कुमार (वरिष्ठ वैज्ञानिक), डॉ. सौरव कुमार (वैज्ञानिक), श्रीमती पूजा विंदे (एसआरएफ), डॉ. गोपाल कृष्ण (पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएफई) और डॉ. गौरव राठौर (प्रधान वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष, भाकृअनुप-एनबीएफजीआर, लखनऊ)। इस वैक्सीन और डायग्नोस्टिक्स को आईआईसीएआर कंसोर्टियम रिसर्च प्लेटफॉर्म ने परियोजना को वित्त पोषित किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, मुंबई)







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