9 सितम्बर, 2022
भाकृअनुप-एआईसीआरपी, झांसी ने चारा फसलों और इसके उपयोग पर आज देश भर में भाकृअनुप संस्थानों, एसएयू, सीएयू, क्षेत्रीय स्टेशनों और गैर सरकारी संगठनों के 35 केंद्रों में विभिन्न चारा प्रजातियों (पारंपरिक चारा फसलों, रेंज घास की प्रजातियां, गैर-पारंपरिक चारा आदि) के बारे में बुनियादी समझ प्रदान करने के लिए 'चारा दिवस' का आयोजन किया।

इस आयोजन के एक भाग के रूप में भाकृअनुप-भारतीय घास का मैदान और चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी ने भी "चारा दिवस" कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि, श्री राम नरेश तिवारी, स्वतंत्र निदेशक, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और राष्ट्रीय मंत्री, किसान मोर्चा ने आम तौर पर किसानों और विशेष रूप से पशुपालकों के लाभ के लिए राज्य और केंद्र सरकार द्वारा लागू की जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने प्राकृतिक और जैविक खेती में पशुधन के महत्व पर भी जोर दिया। श्री तिवारी ने किसानों की आय बढ़ाने और एक मजबूत भारत के निर्माण की आवश्यकता पर भी बल दिया।

विशिष्ट अतिथि, डॉ. एस.के. चतुर्वेदी, कुलपति, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी ने पशुओं को हर साल हरा चारा उपलब्ध कराने और गैर कृषि योग्य भूमि पर भी चारा देने की आवश्यकता के बारे में बताया। उन्होंने आगे संस्थानों और विस्तार कार्यकर्ताओं के बीच प्रभावी जुड़ाव पर जोर दिया ताकि प्रौद्योगिकियां हितधारकों तक पहुंच सकें।
डॉ. ए.के. रॉय, परियोजना समन्वयक एवं प्रभारी निदेशक, भाकृअनुप-आईजीएफआरआई ने देश में चारा संसाधनों को बढ़ाने के लिए उपलब्ध विभिन्न तकनीकों के बारे में बताया। उन्होंने फसल कटाई के बाद प्रबंधन, बीज उत्पादन और विपणन, साइलेज, घास, बेलिंग, घनीभूत ब्लॉक आदि जैसे चारा फसलों के विभिन्न पहलुओं में उद्यमिता विकास की आवश्यकता के बारे में बताया और छात्रों और प्रगतिशील किसानों से उपलब्ध सुविधाओं आईजीएफआरआई में एबीसी केन्द्र का लाभ उठाने का आग्रह किया।
डॉ. आर.के. अग्रवाल, प्रधान वैज्ञानिक ने विषय की उत्पत्ति और पृष्ठभूमि के बारे में बताया और कहा कि यह एक साथ पूरे देश में एक ही दिन मनाया जा रहा है। उन्होंने विभिन्न भाकृअनुप संस्थानों, एसएयू, सीएयू, क्षेत्रीय स्टेशनों और गैर सरकारी संगठनों में बनाए गए स्वर्ण जयंती चारा उद्यान की एक झलक भी प्रस्तुत की।
डॉ. अग्रवाल ने प्रतिभागियों को चारा फसलों के महत्व एवं पशुधन तथा आजीविका के लिए इसके लाभों से अवगत कराया। उन्होंने व्याख्यान के बाद विशेष रूप से विभिन्न केंद्रों में स्थापित 'गोल्डन जुबली फोरेज गार्डन' क्षेत्र का दौरा किया गया।
भाकृअनुप-आईजीएफआरआई के कार्यक्रम में कृषि के लगभग 130 किसानों, वैज्ञानिकों, स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्रों ने भाग लिया।
(स्रोत: चारा फसलों और उपयोग पर एआईसीआरपी, आईजीएफआरआई, झांसी)







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