21-22 दिसंबर, 2022, तिरुचिरापल्ली
भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीबी), तिरुचिरापल्ली और कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), नई दिल्ली ने संयुक्त रूप से दो दिवसीय परामर्शी कार्यशाला 21-22 दिसंबर, 2022 के दौरान तिरुचिरापल्ली में 'जीआई और पारंपरिक केले का निर्यात: वर्तमान परिदृश्य, व्यापार के अवसर और आगे का रास्ता' विषय पर आयोजन किया, जो भारत से जीआई और पारंपरिक केले के निर्यात को बढ़ाने में मदद करेगा।
मुख्य अतिथि, डॉ. एम. अंगमुथु, आईएएस, अध्यक्ष, एपीडा, नई दिल्ली ने जीआई और पारंपरिक केले के संरक्षण के लिए भाकृअनुप-एनआरसीबी, एफपीओ और केला किसानों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने शीघ्र ही पचास से अधिक देशों में निर्यात का विस्तार करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, और सटीक खेती जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके केले की विविधतापूर्ण विस्तार का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया।

विशिष्ट अतिथि, श्री. सी. समयमूर्ति, आईएएस, कृषि उत्पादन आयुक्त ने विभिन्न जैविक और अजैविक तनावों के प्रतिरोधी विविध, पारंपरिक केले की खेती के लिए तमिलनाडु की प्रशंसा की। उन्होंने केले के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए तमिलनाडु राज्य सरकार के समर्थन का भी आश्वासन दिया।


विशिष्ट अतिथि, सुश्री राजलक्ष्मी देवराज, आईडीएएस, अतिरिक्त डीजीएफटी, चेन्नई ने रेखांकित किया कि जिला निर्यात हब कार्यक्रम के तहत, तमिलनाडु के 11 जिलों का चयन किया गया था जिसमें केले के निर्यात के लिए तिरुचिरापल्ली जिले की पहचान की गई थी।
डॉ. वी. गीतालक्ष्मी, कुलपति, टीएनएयू, कोयम्बटूर ने सटीक खेती, सूक्ष्म सिंचाई और उर्वरता आदि जैसी रणनीतियों का पालन करके मृदा प्रबंधन के महत्व पर बल दिया।
डॉ. के.एम. इंदिरेश, कुलपति, यूएचएस, बागलकोट ने बताया कि कर्नाटक में एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) कार्यक्रम के तहत, केले के प्रचार के लिए विशेष रूप से मूल्यवर्धित उत्पादों के लिए दो क्षेत्रों की पहचान की गई थी।
डॉ. वी.बी. पटेल, उप महानिदेशक (बागवानी विज्ञान-II), भाकृअनुप, नई दिल्ली ने केले की उत्पादकता बढ़ाने और गुणवत्ता में सुधार करने का आग्रह किया।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए, डॉ. आर. सेल्वराजन, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीबी ने उल्लेख किया कि केले के निर्यात का मूल्य 2018-2022 के दौरान 430 करोड़ से 1300 करोड़ रुपये है जो लगभग तीन गुना हो गया है साथ हि उन किस्मों की बढ़ती मांग को देखते हुए जीआई टैग और पारंपरिक केले की किस्मों को निर्यात करने का एक बड़ा अवसर मिला है। उन्होंने केले की जीआई-टैग और पारंपरिक किस्मों की खेती और सुरक्षा के लिए तमिलनाडु के सिरुमलाई और डेल्टा क्षेत्र के किसानों की सराहना की।
इस अवसर पर, छह प्रकाशनों का विमोचन किया गया और केला उत्पादन प्रणाली में विभिन्न हितधारकों जैसे - जैन इरिगेशन सिस्टम्स लिमिटेड, जलगाँव, महाराष्ट्र और तमिलनाडु बनाना ग्रोवर्स फेडरेशन, थोट्टियम और तमिलनाडु हिल बनाना ग्रोवर्स फेडरेशन को तीन पुरस्कार प्रदान किए गए।
निर्यात कार्यशाला में 300 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई जिसमें केले की 100 से अधिक किस्मों और स्थानीय किस्मों को प्रदर्शित किया गया।
कार्यशाला का पूर्ण सत्र 22 दिसंबर, 2022 को आयोजित किया गया। डॉ. एम.के. शनमुगसुंदरम, आईएएस, विकास आयुक्त, एमईपीजेड, एसईजेड, चेन्नई, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे और डॉ. डी.के. अग्रवाल, रजिस्ट्रार जनरल, पीपीवी और एफआरए, नई दिल्ली तथा श्री एलेक्स पॉल मेनन, आईएएस, संयुक्त विकास आयुक्त, एमईपीजेड, एसईजेड, चेन्नई भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थिति दर्ज कराई।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र, तिरुचिरापल्ली)







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