पंडित दीन दयाल उपाध्याय द्वारा राष्ट्र निर्माण में दिये गए योगदानों का पुण्य स्मरण करते हुए पूरे देश में शताब्दी समारोह आयोजित किये जा रहे हैं। पंडित दीन दयाल उपाध्याय राष्ट्र निर्माण व अत्यंत निर्धनों के जीवन स्तर में सुधार के लिए अपने जीवन को समर्पित करने वाले एक महान दार्शनिक व विचारक थे। ऐसी महान विभूति की पुण्य स्मृति में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा ‘पंडित दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय कृषि पुरस्कार (राष्ट्रीय व क्षेत्रीय)’ की वर्तमान वर्ष 2016 में स्थापना की गई है।
यह पुरस्कार कृषि में एकीकृत और टिकाऊ मॉडल के विकास के लिए सीमांत और छोटे व भूमिहीन किसानों के योगदान को चिन्हित करने के लिए स्थापित किया गया है।
इन पुरस्कारों में राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता को 1, 00,000 रु. तथा 11 क्षेत्रों के प्रत्येक पुरस्कार विजेता को 50,000 रु. के साथ-साथ एक प्रशस्ति व प्रमाण पत्र दिए जाने का प्रावधान है।
क्षेत्र- 11
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह द्वारा क्षेत्र- 11 में ‘पंडित दीन दयाल उपाध्याय पुरस्कार- 2016’ श्री ए. बाबूराज को प्रदान किया गया जो केरल, कोझीकोड के जलजीव पालक किसान हैं। यह पुरस्कार पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी के अवसर पर भाकृअनुप – भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कोझीकोड में आयोजित एक समारोह में प्रदान किया गया।
इस अवसर पर किसानों को संबोधित करते हुए मंत्री महोदय ने कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों में सीमांत तथा छोटे व भूमिहीन किसानों के योगदान को चिन्हित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री सिंह ने पुरस्कार विजेता श्री बाबूराज की प्रशंसा की जो दो दशकों से आईसीएआर – सीएमएफआरआई और आईसीएआर – सीबा, चेन्नई के प्रौद्योगिकी सहयोग द्वारा अपने छोटे फार्म में जलजीव पालन कर रहे हैं। श्री बाबूराज खारे जल में पर्ल-स्पॉट मछली के उत्पादन विशेषज्ञ हैं।
कृषि के प्रति समर्पण के कारण उन्होंने आसपास के गांवों में काफी युवाओं को खारा जलजीव पालन के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने अपने उद्यम को बढ़ावा देने तथा आमदनी वृद्धि के लिए सोशल मीडिया के प्रभावी प्रयोग द्वारा जलजीव पालन को कृषि-जैव-पर्यटन से जोड़ा है।
डॉ. के. निर्मल बाबू, निदेशक, आईसीएआर – आईआईएसआर, कोझीकोड और डॉ. श्रीनाथ दीक्षित, निदेशक, आईसीएआर – आटारी, बेंगलूरू ने भी पुरस्कार वितरण समारोह में भाग लिया।
इस कार्यक्रम में किसानों, मछुआरों, राजकीय विभागों के अधिकारियों और भाकृअनुप संस्थानों के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
(स्रोतः भाकृअनुप – भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कोझीकोड)
क्षेत्र – 8
समुद्र में पिंजरे के माध्यम से मछली पालन तकनीक अपनाकर लोबस्टर मछली के उत्पादन में योगदान के लिए क्षेत्र -8 में श्री हसम भाई जुमाभाई मसंगारा को 25 सितंबर, 2015 को पंडित दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय कृषि पुरस्कार – 2016 प्रदान किया गया। पुरस्कार वितरण समारोह आईसीएआर – अटारी और कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में क्षेत्रीय पुरस्कार के अतिरिक्त 6 नवोन्मेषी किसानों को भी सम्मानित किया गया।
डॉ. बलराज सिंह, कुलपति, कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पुरस्कार विजेता श्री मसंगारा को सम्मानित किया। डॉ. सिंह ने पुरस्कार विजेता किसान की उल्लेखनीय सफलता की प्रशंसा की और इस बात पर बल दिया कि इस प्रकार से सफल किसानों को पहचानने व पुरस्कृत करने के माध्यम से ग्रामीण युवाओं को कृषि – उद्यमी बनने की प्रेरणा मिलेगी।
इस अवसर पर श्री हसम भाई जुमाभाई मसंगारा ने अपनी सफलतागाथा साझा की और किसानों से यह आग्रह किया कि वे अधिक लाभ के लिए नवोन्मेषी तकनीक अपनाए।
इस कार्यक्रम में किसानों, महिला कृषकों व ग्रामीण किसानों, वैज्ञानिकों तथा अन्य हितधारकों ने लगभग 500 की संख्या में भाग लिया।
(स्रोतः भाकृअनुप – कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोधपुर)
क्षेत्र- 2
श्री दीपक कुमार सिंह, बांका, बिहार और श्री अशोक कुमार सरकार, निंबूदेरा, उत्तरी और मध्य अंडमान को क्षेत्र- 2 के लिए 25 सितंबर, 2016 को कोलकाता में पंडित दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय कृषि पुरस्कार – 2016 दिया गया। पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन भाकृअनुप – कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता द्वारा किया गया था।
कार्यक्रम में श्री जितेन्द्र कुमार सिंह, वैशाली, बिहार को ‘जगजीवन राम अभिनव किसान पुरस्कार – 2015’ प्रदान किया गया।
प्रोफेसर स्वप्न कुमार दत्ता, कुलपति, विश्व भारती, शांतिनिकेतन एवं पूर्व उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान), भाकृअनुप तथा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि द्वारा हालही में पारित जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) और इसके द्वारा भविष्य में देश के कृषि बाजार पर पड़ने वाले प्रभावों पर जोर दिया।
कार्यक्रम में पूर्वी भारत के विभिन्न राज्यों की महिला कृषकों ने 300 की संख्या में भाग लिया।
(स्रोतः भाकृअनुप – कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
क्षेत्र – 8
समुद्र में पिंजरे के माध्यम से मछली पालन तकनीक अपनाकर लोबस्टर मछली के उत्पादन में योगदान के लिए क्षेत्र -8 में श्री हसम भाई जुमाभाई मसंगारा को 25 सितंबर, 2015 को पंडित दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय कृषि पुरस्कार – 2016 प्रदान किया गया। पुरस्कार वितरण समारोह आईसीएआर – अटारी और कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में क्षेत्रीय पुरस्कार के अतिरिक्त 6 नवोन्मेषी किसानों को भी सम्मानित किया गया।
Shri Shantilal Bilwal, Member of the Legislative Assembly, Jhabua snd the chief guest of the ceremony appealed the farmers to adopt the scientific agriculture technology. डॉ. बलराज सिंह, कुलपति, कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पुरस्कार विजेता श्री मसंगारा को सम्मानित किया। डॉ. सिंह ने पुरस्कार विजेता किसान की उल्लेखनीय सफलता की प्रशंसा की और इस बात पर बल दिया कि इस प्रकार से सफल किसानों को पहचानने व पुरस्कृत करने के माध्यम से ग्रामीण युवाओं को कृषि – उद्यमी बनने की प्रेरणा मिलेगी।
इस अवसर पर श्री हसम भाई जुमाभाई मसंगारा ने अपनी सफलतागाथा साझा की और किसानों से यह आग्रह किया कि वे अधिक लाभ के लिए नवोन्मेषी तकनीक अपनाए।
इस कार्यक्रम में किसानों, महिला कृषकों व ग्रामीण किसानों, वैज्ञानिकों तथा अन्य हितधारकों ने लगभग 500 की संख्या में भाग लिया।
(स्रोतः भाकृअनुप – कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोधपुर)
क्षेत्र – 6
श्री सोमनाथ पौद्याल, कृषि एवं पशुपालन मंत्री, सिक्किम द्वारा क्षेत्र – 6 में श्रीमती अनुराधा क्षेत्रि, प्रगतिशील आर्किड कृषक, पूर्वी सिक्किम को 25 सितंबर, 2016 को ‘पंडित दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय कृषि पुरस्कार – 2016’ प्रदान किया गया। इस समारोह का आयोजन कृषि अभियांत्रिकी एवं कटाई उपरांत प्रौद्योगिकी कॉलेज, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, रानीपूल, सिक्किम में किया गया।
इस अवसर मंत्री महोदय ने अपने संबोधन में सुश्री अनुराधा क्षेत्रि और किसानों तक प्रौद्योगिकी हंस्तांतरण के लिए भाकृअनुप – राष्ट्रीय आर्किड अनुसंधान केन्द्र के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कृषि को लाभकारी व आकर्षक बनाने पर भी जोर दिया जिससे ग्रामीण युवाओं को आजीविका के अवसर प्रदान हो सके।
डॉ. डी.आर. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप – राष्ट्रीय आर्किड अनुसंधान केन्द्र ने संस्थान द्वारा जारी गतिविधियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी तथा सिक्किम की सम्पन्न जैव-विविधता के संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने आर्किड की लंबी उत्पादन अवधि वाली किस्म सिम्बीडियम के स्थान पर देसी आर्किड किस्म विशेष तौर पर डेन्ड्रोबियम नोबाइल की खेती को प्रचलित करने की बात कही।
सिक्किम के 250 किसानों ने कार्यक्रम में भाग लिया।
(स्रोतः भाकृअनुप - राष्ट्रीय आर्किड अनुसंधान केन्द्र, सिक्किम)
क्षेत्र 10
पंडित दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय कृषि पुरस्कार -2016, क्षेत्र- 10 के लिए श्री अल्लुरी सूर्यनारायण मूर्ति, गंगावरम, पूर्वी गोदावरी जिला, आंध्र प्रदेश को छोटे खेतों में प्रयुक्त टिकाऊ समन्वित कृषि पद्धति मॉडल विकसित करने के लिए प्रदान किया गया।
भाकृअनुप - कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, क्षेत्र- 10, हैदराबाद द्वारा डॉ. वाईएसआर बागवानी विश्वविद्यालय, पश्चिमी गोदावरी में 25 सितंबर, 2016 को कार्यक्रम आयोजित किया गया। डॉ. बी.एम.सी. रेड्डी, कुलपति, डॉ. वाईएसआर बागवानी विश्वविद्यालय पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल थे।
डॉ. वाई.जी. प्रसाद, निदेशक, भाकृअनुप – अटारी (क्षेत्र-10), हैदराबाद ने सूचित किया कि यह पुरस्कार कृषि या संबंधित क्षेत्रों के छोटे, सीमांत व भूमिहीन किसानों को प्रदान किया जाता है।
पुरस्कार विजेता श्री अल्लुरी सूर्यनारायण मूर्ति ने अपने संबोधन में आईएफएस मॉडल के बारे में किसानों को जानकारी दी और आग्रह किया कि इसे राज्य की समान स्थितियों वाली कृषि में अपनाया जाए।
इस अवसर पर वैज्ञानिक-किसान संवाद सभा का भी आयोजन किया गया।
नजदीकी जिलों, एसएयू, भाकृअनुप संस्थानों, केवीके और राज्य के विभागों के अधिकारियों व वैज्ञानिकों ने 300 की संख्या में इस कार्यक्रम में भाग लिया।
(स्रोतः भाकृअनुप – कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), क्षेत्र- 10, हैदराबाद)
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