15 अक्टूबर, 2016, गुवाहाटी
भाकृअनुप – राष्ट्रीय शूकर अनुसंधान केन्द्र, गुवाहाटी द्वारा विकसित दो विकसित प्रजातियों के संकर रानी व आशा को डॉ. एच. रहमान, उपमहानिदेशक (पशु विज्ञान) द्वारा जारी किया गया। डॉ. रहमान ने अपने अध्यक्षीय भाषण में जल्दी विकसित होने वाली शूकर संकर के विकास के लिए संस्थान के प्रयासों की प्रशंसा की। इसके साथ ही उन्होंने यह आशा व्यक्त की कि ग्रामीण किसानों को इन विकसित शूकरों के पालन से लाभ होगा। उन्होंने रानी व आशा किस्म के शूकर शिशुओं को अपनाए गए गांवों के किसानों में वितरित किया तथा नए प्रकाशनों को भी जारी किया।


डॉ. डी.के. सरमा, निदेशक, भाकृअनुप – राष्ट्रीय शूकर अनुसंधान केन्द्र ने अपने संबोधन में कहा कि रानी किस्म को भाकृअनुप – राष्ट्रीय शूकर अनुसंधान केन्द्र द्वारा विदेशी शूकर किस्म हम्पाशायर और देसी शूकर नस्ल घुंघरू से विकसित किया गया है। रानी नस्ल के लाक्षणिक गुणों को छह पीढ़ियों तक लगातार संकरण के लिए स्थिर किया गया है। इस नस्ल के शूकर 8 माह की उम्र में 75 कि.ग्रा. भार तथा 1.98 सें.मी. के चमड़े की मोटाई वाला हो जाते हैं। रानी संकर नस्ल को व्यापक रूप से किसानों के शूकर बाड़े में अपनाया गया है। आशा नस्ल के विकास के लिए विदेशी नस्ल ड्यूरॉक को रानी से मिलाया गया जिसमें 25 प्रतिशत घुंघरू, 25 प्रतिशत हैम्पशायर तथा 50 प्रतिशत ड्यूरॉक के आनुवांशिक गुण मौजूद हैं। आशा 8 माह की उम्र में 80 कि.ग्रा. भार तथा 1.75 सें.मी. चमड़े की मोटाई वाली हो जाती है।


भाकृअनुप मुख्यालय, राज्य सरकार, भाकृअनुप संस्थानों, विश्वविद्यालयों, शूकर पर एआईसीआरपी व मेगा सीड परियोजना के वरिष्ठ अधिकारियों तथा प्रगतिशील किसानों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
(स्रोतः भाकृअनुप – राष्ट्रीय शूकर अनुसंधान केन्द्र, गुवाहाटी)







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