27 अक्टूबर, 2016, शिकोहपुर
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र, शिकोहपुर में अपशिष्ट से संपदा सृजन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज आयोजन किया गया।
इस अवसर पर श्री सुदर्शन भगत, राज्य मंत्री-कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, मुख्य अतिथि थे। श्री भगत ने अपने भाषण में 16 से 31 अक्टूबर तक चलने वाले स्वच्छता पखवाड़े के दौरान सभी पंचायतों, ग्राम वासियों को स्वच्छता के प्रति सजग किया, साथ-ही-साथ रसोई से लेकर ऑफिस तक, खेत से लेकर खलिहान तक, गांव से लेकर शहर तक तथा फसल कटाई के बाद बचा कृषि व्यर्थ (अवशेष) जैसे पुआल, भूसा, फूल, पत्ते, घास, सब्जियाँ आदि के अवशेषों एवं पशु मल जैसे गाय, भैंस, मुर्गी, मछली तथा रसोई के हरे कचरे को खाद के रूप में परिवर्तित करके घर के कचरे को खेत में सोना उपजाने वाली खाद में बदलकर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। इसके अलावा यह भी आग्रह किया कि फसलों के अवशेषों को कदापि नहीं जलाना चाहिए। इससे मृदा उर्वरता में ह्रास तथा वातावरण प्रदूषित होता है। इसका उचित प्रबंधन करके खाद तैयार कर पेड़ पौधों के उपयोग में ला सकते हैं।








संगोष्ठी के दौरान उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों श्री एस.के. सिंह, अपर सचिव एवं वित्त सलाहकार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, श्री छबिलेंद्र राऊल, अपर सचिव (डेयर) एवं सचिव, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, डॉ. जे.एस. संधू, उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान), ने अपशिष्ट से संपदा सृजन से संबंधित अपने-अपने विचार व्यक्त किए।
डॉ. (श्रीमती) रविन्द्र कौर ने मुख्य अतिथि एवं परिषद् के अन्य वरिष्ठ अधिकारीयों का स्वागत कियाI
कार्यक्रम में मंत्री ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रकाशनों (त्वरित कंपोस्ट तकनीक; पूसा कंपोस्ट कल्चर द्वारा फसल अवशेषों का समृद्ध कंपोस्ट में रूपांतरण आदि) का विमोचन किया।
गांव में जागरूकता फैलाने के लिये भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के छात्रों ने एक नुक्कड़ नाटक ‘‘घर का कूड़ा, खेत का सोना’’ का मंचन किया।
मुख्य अतिथि द्वारा इस अवसर पर आयोजित कृषि प्रदर्शनी का भी उद्घाटन एवं अवलोकन तथा प्रदर्शनी में प्रदर्शित तकनीकों की सराहना की जिसमें किसानों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। इस प्रदर्शनी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों द्वारा प्रदर्शित तकनीकों जैसे - त्वरित कम्पोस्टिंग, पशु खाद्य ब्लाक मशीन, सिंचाई आपूर्ति और सुरक्षित खाद्य उत्पादन हेतु पर्यावरण अनुकूल अपशिष्ट जल उपचार, जैव अवशिष्ट प्रबंधन द्वारा अपशिष्ट से संपदा, अपशिष्ट से जैव उर्जा उत्पादन तकनीक, लाख आधारित लकड़ी वार्निश उत्पाद तकनीकी, अधिक ताप से ठण्ड सहनशीलता वाले जय गोपाल वर्मीकल्चर तकनीक, प्रॉन मछली कोशिका अपशिष्ट द्वारा काईटिन, चिटोसेन एवं ग्लुकोमाइन हाइड्रोक्लोराइड का उत्पादन एवं डेरी अपशिष्ट का मूल्य संवर्धन आदि विषयों पर कृषि क्षेत्र की प्रौद्योगिकीयों को प्रदर्शित किया गयाI
इस कार्यक्रम के दौरान कृषक एवं वैज्ञानिक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली एवं अन्य संस्थानों से आए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कृषि एवं पशुपालन संबंधित समस्याओं का समाधान किया गया। इस संगोष्ठी में गुड़गांव, मेवात, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी आदि जिलों से आए कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. एस.पी. किमोथी, सहायक महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (समन्वय एवं नोडल अधिकारी, स्वच्छता मिशन) द्वारा इस कार्यक्रम में आए सभी गणमान्य अतिथियों का धन्यवाद किया और आभार प्रकट किया।
(स्रोत : भाकृअनुप-केवीके, शिकोहपुर)







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