ऑस्ट्रेलिया-भारत परिषद (एआईसी) द्वारा "जलवायु परिवर्तन के तहत सतत पशुधन उत्पादन" पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

ऑस्ट्रेलिया-भारत परिषद (एआईसी) द्वारा "जलवायु परिवर्तन के तहत सतत पशुधन उत्पादन" पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

21 दिसंबर, 202, इज्जतनगर

ऑस्ट्रेलिया-इंडिया काउंसिल (एआईसी) द्वारा 21-22 दिसंबर, 2022 को भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) में "संभावित जलवायु परिवर्तन के तहत सतत पशुधन उत्पादन" पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

उद्घाटन सत्र की शुरुआत कार्यक्रम के सह संयोजक, डॉ ज्ञानेंद्र सिंह के स्वागत संबोधन से हुई। उन्होंने पशु स्वास्थ्य और उत्पादन के विभिन्न पहलुओं पर गर्मी के दबाव तथा इससे उत्पन्न प्रभाव को रेखांकित किया साथ ही पोषण पूरकता द्वारा पशुधन में गर्मी के तनाव को कम करने के लिए रणनीतियां बनाने के बारे में चर्चा की। इसके अलावा उन्होंने कार्यशाला के महत्व पर जोर दिया और कहा कि यह चल रहे जलवायु परिवर्तन परिदृश्य के तहत स्थायी पशुधन उत्पादन के सामान्य लक्ष्य के साथ अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ संबंधों को मजबूत करने का एक प्रयास है।

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ऑस्ट्रेलिया में, मेलबर्न विश्वविद्यालय के वरिष्ठ व्याख्याता और परियोजना के प्रमुख अन्वेषक, डॉ. एस.एस. चौहान ने पशुधन उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में सहयोगात्मक अनुसंधान के महत्व पर बल दिया। उन्होंने विभिन्न इलाकों के लिए विशिष्ट थर्मो-सहिष्णु नस्लों की पहचान करने और टिकाऊ पशु उत्पाद को विकसित करने के लिए जीनोमिक उपकरणों का प्रयोग करने और उसे लागू करने की आवश्यकता के बारे में भी बात की।

भाकृअनुप-आईवीआरआई के निदेशक, डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बढ़ती आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदमों तथा सहयोगी अनुसंधान अवसरों में युवा पीढ़ी की भागीदारी, और भाकृअनुप-आईवीआरआई द्वारा किसान की जागरूकता के लिए जलवायु परिवर्तन से संबंधित गतिविधियों के इनपुट तथा इसके प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने जलवायु-स्मार्ट पशुधन उत्पादन के महत्व और आसन्न जलवायु परिवर्तन के बारे में व्यापक जागरूकता की ओर भी इशारा किया।

निम्नलिखित तकनीकी सत्रों में, भारत और ऑस्ट्रेलिया के प्रतिष्ठित वक्ताओं ने गर्मी के तनाव के प्रभाव, गर्मी के तनाव का पता लगाने के लिए उन्नत उपकरण और टिकाऊ पशुधन उत्पादन को बनाए रखने के लिए उन्नत रणनीतियों पर अपना ज्ञान साझा किया। गर्मी के तनाव को कम करने के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों यानी सूक्ष्म पर्यावरण को समायोजित करना, पोषक तत्वों की खुराक और पशुओं के आनुवंशिक संशोधन पर चर्चा की गई।

जलवायु अनुकूल जानवरों के विकास के बारे में चर्चा करने वाले प्रमुख वक्ताओं ने आनुवंशिक उपकरणों के माध्यम से देशी मवेशियों और भैंस की नस्लों के क्षेत्रीय शरीर विज्ञान की बेहतर समझ के साथ-साथ वैश्विक जीन अभिव्यक्ति की स्पष्ट समझ तथा गर्मी के तनाव की स्थिति में मवेशियों और भैंसों की प्रोटिओमिक्स प्रोफाइलिंग के अलावा उनके विशिष्ट तापीय आराम की आवश्यकता ही उसके उत्पादन प्रदर्शन को बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

इसके अलावा, पशु ताप तनाव निगरानी के लिए रिमोट सेंसिंग, कार्बन फुट प्रिंट और ताप तनाव को कम करने के लिए खनिज पूरकता पर चर्चा की गई। इस कार्यशाला के माध्यम से, ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न विश्वविद्यालय और भाकृअनुप-आईवीआरआई अपने द्विपक्षीय अनुसंधान सहयोग प्रयासों को बढ़ाना तथा इस पर शोध जारी रखेंगे, जिससे छात्रों और शोधकर्ताओं को स्थायी पशुधन उत्पादन की दिशा में काम करने में सहायता मिलेगी।

इस हाइब्रिड-मोड कार्यशाला में, डॉ. हेरि अब्दुल समद, वैज्ञानिक, पी एंड सी डिवीजन तथा भारत और ऑस्ट्रेलिया के 300 से अधिक शोधकर्ताओं और छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर)

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