"वर्तमान संदर्भ में रासायन मुक्त प्राकृतिक खेती: चुनौतियां और अवसर" विषय पर उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित

"वर्तमान संदर्भ में रासायन मुक्त प्राकृतिक खेती: चुनौतियां और अवसर" विषय पर उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित

9 अक्टूबर, 2022, सतना

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जबलपुर ने 09-11 अक्टूबर, 2022 के दौरान दीनदयाल अनुसंधान संस्थान, चित्रकूट, सतना, मध्य प्रदेश में "वर्तमान संदर्भ में रासायनिक मुक्त प्राकृतिक खेती: चुनौतियां और अवसर" पर केवीके की ओरिएंटेशन कार्यशाला का आयोजन किया।

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मुख्य अतिथि, मध्य प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री, श्री कमल पटेल ने कहा कि प्राकृतिक खेती करना और उसे बढ़ावा देना हमारी प्राथमिकता है, क्योंकि प्राकृतिक खेती करने से खेती की लागत कम होगी और लंबे समय में मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होगा। मध्य प्रदेश के किसानों को सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि भी मिलेगी।

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गुजरात के राज्यपाल, आचार्य देवव्रत ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में किसानों की उपलब्ध सामग्री जैसे बीजामृत, जीवामृत, घन जीवामृत, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्निअस्त्र के माध्यम से प्राकृतिक खेती के साथ अपने-अपने क्षेत्रों में उगाई जाने वाली फसलों के अनुसार गतिविधियों को आसान और सुलभ बनाने का सुझाव दिया।

विशिष्ट अतिथि, डॉ. वी.पी. चहल, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने कहा कि प्राकृतिक खेती किसानों  के लिए कृषि की स्थिरता और उनकी उपज का उत्पादकों और उपभोक्ताओं को अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने में बहुत सहायक है।

निदेशक, अटारी, जोन IX, जबलपुर, डॉ. एस.आर.के. सिंह ने कहा कि प्राकृतिक खेती वह प्रणाली है जिसमें खेती में वृद्धि होगी और खेती की लागत में कमी होगी, रासायनिक खेती के हानिकारक प्रभाव मिट्टी के स्वास्थ्य और हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकुल प्रभाव डाल रहे हैं, वहीं प्राकृतिक खेती इस जोखिम कम कर रहे हैं। आने वाले समय में अधिक संख्या में किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा और उन्हें सभी फसलों में प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

प्राकृतिक खेती विशेषज्ञ, श्री हरिओम, वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख, केवीके, कुरुक्षेत्र ने प्राकृतिक खेती परीक्षणों के आधार पर "प्राकृतिक खेती पर प्रभाव और इसकी क्षमता" को प्रस्तुत किया। उन्होंने दिखाया कि पौधों को सभी आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति की जाती है, साथ ही मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवों की संख्या में वृद्धि होती है और सीमित समय-अवधि के भीतर पारिस्थितिक संतुलन भी बना रहता है।

डीईएस, जेएनकेवीवी, जबलपुर, डीईएस, आरवीएसकेवीवी, ग्वालियर और चयनित केवीके ने प्राकृतिक खेती पर अपनी गतिविधियों को प्रस्तुत किया जिसकी समीक्षा की गई और किसानों द्वारा उचित प्रसार और अनुकूलन के लिए सुझाव भी दिया गया।

9 से 12 अक्टूबर 2022 तक ग्रामोदय मेले के दौरान एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था, जिसमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के 50 कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा भी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था। केवीके ने प्राकृतिक खेती पर सूचनात्मक पोस्टर प्रदर्शित किए और प्रगतिशील किसानों के मूल्य वर्धित उत्पादों और केवीके को प्रदर्शनी स्टाल में दिखाया गया था।

कार्यशाला में केवीके वैज्ञानिकों, प्रगतिशील किसानों, अधिकारियों और प्रतिनिधियों सहित 150 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, इस अवसर पर केवीके की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जबलपुर)

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