भाकृअनुप-एनडीआरआई द्वारा साहीवाल गाय के सुधार हेतु चयन रणनीति की शुरुआत

भाकृअनुप-एनडीआरआई द्वारा साहीवाल गाय के सुधार हेतु चयन रणनीति की शुरुआत

भारतीय डेयरी कृषि के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, भाकृअनुप-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल ने साहीवाल गायों के लिए देश का पहला जीनोमिक चयन कार्यक्रम शुरू किया है। इस सफलता से दूध उत्पादकता में वृद्धि, अनुवांशिक सुधार में तेज़ी और विशेष रूप से छोटे एवं मध्यम डेयरी किसानों को बेहतर आर्थिक लाभ मिलने का वादा किया गया है।

यह कार्यक्रम भारत की विशिष्ट नस्लों एवं कृषि परिस्थितियों के अनुरूप उन्नत जीनोमिक तकनीक का उपयोग करता है। दूध उत्पादन के लिए उच्चतम अनुवांशिक क्षमता वाले सांडों की पहचान करके, यह सुनिश्चित करता है कि केवल श्रेष्ठ आनुवंशिकता ही आगे बढ़े। इस दृष्टिकोण का एक प्रमुख लाभ प्रजनन चक्र में भारी कमी है, जिससे 7-8 वर्षों के बजाय कुछ ही हफ़्तों में श्रेष्ठ सांड उपयोग में आ जाते हैं, जिससे किसानों को पशु समूह में तेज़ी से विस्तार करने तथा घरेलू आय में सुधार करने में मदद मिलती है।

ICAR-NDRI Initiates Selection Strategy for Sahiwal Cow Improvement at ICAR-NDRI

डॉ. धीर सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-एनडीआरआई ने कहा, "यह पहल भारतीय डेयरी फार्मिंग के भविष्य को बदल देगी। जीनोमिक विज्ञान को सीधे अपने किसानों तक पहुँचाकर, हम पशु समूह की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं, आजीविका को मज़बूत कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि देश साहीवाल जैसी उन्नत देशी नस्लों का लाभ उठा सके।"

छोटे किसानों, बहु-नस्ल वाले पशु समूह और सीमित वंशावली रिकॉर्ड वाले क्षेत्रों को सहायता प्रदान करने के लिए विशिष्ट प्रजनन मॉडल विकसित किए गए हैं। जीनोमिक रूप से मूल्यांकित वीर्य तक पहुँच से, सीमांत किसानों को भी लाभ होगा, जिससे पूरे भारत में टिकाऊ एवं उत्पादक डेयरी प्रणालियां निर्मित होंगी।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल)

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