भारतीय डेयरी कृषि के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, भाकृअनुप-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल ने साहीवाल गायों में सिंगल स्टेप जीनोमिक बीएलयूपी (एसएसजीबीएलयूपी) के माध्यम से जीनोमिक चयन कार्यक्रम शुरू किया है। इस सफलता से दूध उत्पादकता में वृद्धि, अनुवांशिक सुधार में तेज़ी तथा विशेष रूप से छोटे एवं मध्यम डेयरी किसानों को बेहतर आर्थिक लाभ मिलने के संभावनाओं को सुनिश्चित किया गया है।
यह कार्यक्रम दूध उत्पादन के लिए उच्चतम आनुवंशिक क्षमता वाले सांडों की पहचान करने हेतु उन्नत जीनोमिक तकनीक का उपयोग करता है, यह सुनिश्चित करता है कि केवल बेहतर आनुवंशिकी ही आगे बढ़े। इस दृष्टिकोण का एक प्रमुख लाभ पीढ़ी अंतराल में भारी कमी है, जिससे किसानों को पशु समूह का तेजी से विस्तार करने और घरेलू आय में सुधार करने में मदद मिलती है।ॉ

डॉ. धीर सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-एनडीआरआई ने कहा, "यह पहल भारतीय डेयरी कृषि के भविष्य को बदल देगी। जीनोमिक विज्ञान को सीधे अपने किसानों तक पहुंचाकर, हम झुंड की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं, आजीविका को मजबूत कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि देश साहीवाल जैसी उन्नत देशी नस्लों का लाभ उठा सके।" साथ ही आरपीएम और डीएएचडी के अंतर्गत, एनडीडीबी जीनोमिक्स का उपयोग करके देशी सांडों का चयन भी कर रहा है।
छोटे किसानों, बहु-नस्ल पशु समूह तथा सीमित वंशावली रिकॉर्ड वाले क्षेत्रों को सहायता प्रदान करने के लिए विशिष्ट प्रजनन मॉडल विकसित किया गया है। जीनोमिक रूप से मूल्यांकित वीर्य तक पहुँच से, सीमांत किसानों को भी लाभ होगा, जिससे पूरे भारत में टिकाऊ और उत्पादक डेयरी प्रणालियां विकसित होंगी।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल)
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