19 सितंबर, 2025, हैदराबाद
भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, मांड्या में अनुसूचित जाति के लाभार्थी किसानों के लिए श्री अन्न उत्पादन तकनीक, प्रसंस्करण तथा मूल्य संवर्धन पर वैज्ञानिक-किसान इंटरफेस बैठक आज सफलतापूर्वक आयोजित की गई।
कार्यक्रम का उद्घाटन, डॉ. के.एम. हरिनी कुमार, विशेष अधिकारी, यूएएस मांड्या, ने किया। उन्होंने बाजरा की खेती और उपयोग के अपने अनुभव साझा किए तथा किसानों को कृषि विकास के लिए विश्वविद्यालय की तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया।
यह कार्यक्रम भाकृअनुप-अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना, यूएएस, मांड्या, कर्नाटक और भाकृअनुप-भारतीय श्री अन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद द्वारा एआईसीआरपी-ज्वार और बाजरा के एससीएसपी घटक के अंतर्गत संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य श्री अन्न की खेती, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन के माध्यम से अनुसूचित जाति के किसानों में उद्यमिता विकास को बढ़ावा देना था, जिससे आजीविका के अवसरों में वृद्धि हो। कार्यक्रम में बाज़ारों तक बेहतर पहुँच और मूल्य श्रृंखला एकीकरण के लिए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से सामूहिक कार्रवाई को भी प्रोत्साहित किया गया।
विशेषज्ञों ने कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए जलवायु परिवर्तन परिदृश्य में श्री अन्न के महत्व के बारे में जानकारी दी।
तकनीकी सत्रों में श्री अन्न उत्पादन तकनीकें, बाजरा मूल्य श्रृंखला विकास में किसान उत्पादक कंपनियों की भूमिका, बाजरा प्रसंस्करण तथा मूल्य संवर्धन, पोषण एवं आर्थिक सुरक्षा के लिए बाजरे का महत्व, बाजरा विपणन रणनीतियाँ तथा बाजरे की खेती, प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन की सफलता की कहानियां शामिल थीं। बैठक में बाजरा उत्पादन एवं प्रसंस्करण पर एक कन्नड़ प्रकाशन का विमोचन किया गया।
100 से अधिक किसानों, वैज्ञानिकों, विस्तार अधिकारियों और हितधारकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। एससीएसपी पहल के तहत, भाकृअनुप-आईआईएमआर हैदराबाद के वैश्विक उत्कृष्टता केन्द्र के तहत 50 अनुसूचित जाति के किसानों को गुणवत्तापूर्ण बाजरे के बीज, कृषि उपकरण और तिरपाल वितरित किए गए।
कार्यक्रम का समापन भाकृअनुप-आईआईएमआर के एससीएसपी कार्यक्रम के तहत दिए गए समर्थन के लिए किसानों द्वारा आभार व्यक्त करने तथा उद्यमिता विकास हेतु बाजरा आधारित खेती, प्रसंस्करण तथा विपणन को अपनाने में गहरी रुचि दिखाने के साथ हुआ।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)
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